बसेरा (कहानी)

बसेरा मिशा आज सुबह से ही बागवानी के मूड में थी कि तभी मां की आवाज आई। अरे! नहा लो नहीं तो पानी चला जाएगा। भई, ये लड़कियां तो मेरी एक नहीं सुनती। मिशा सारे गमलों की गुड़ाई करने में लग गई, फिर उसने उनमें खाद डाली जो उसने किचन वेस्ट से तैयार की थी। सब काम करके वो नहाने चल दी कि मां ने टोका, मैडम जी हो गया आपका काम, पर अब पानी नहीं है कैसे नहाओगी? मां," मैंने पहले ही दो बाल्टी पानी बाहर वाले बाथरूम में रख लिया था"।मिशा बोली। "अरे! तुम मिशा की चिंता क्यों करती हो? वह बहुत स्मार्ट है और समझदार भी, अपना काम चला लेती है" उसके पापा बोले। मिशा, मां की तरफ देख हंसते हुए नहाने चली गई। फिर नहाकर फटाफट उसने पूजा की और दोपहर का खाना भी बना कर रख दिया। मां ने रीमा को आवाज़ लगाई जो मिशा से बड़ी थी वह एकदम पढ़ाकू थी। ऐसी कोई किताब नहीं होगी जो उससे बची हो। वह सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही थी, और वो उसमें सफल भी हो जाएगी इसका पूरे घर को यकीन था। हुआ भी ऐसा ही रीमा दीदी जल्दी ही...