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जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बसेरा (कहानी)

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                            बसेरा मिशा आज सुबह से ही बागवानी के मूड में थी कि तभी मां  की आवाज आई। अरे! नहा लो नहीं तो पानी चला जाएगा। भई, ये लड़कियां तो मेरी एक नहीं सुनती। मिशा सारे गमलों की गुड़ाई करने में लग गई, फिर उसने उनमें खाद डाली जो उसने किचन वेस्ट से तैयार की थी। सब काम करके वो नहाने चल दी कि मां ने टोका, मैडम जी हो गया आपका काम, पर अब पानी नहीं है कैसे नहाओगी? मां," मैंने पहले ही दो बाल्टी पानी बाहर वाले बाथरूम में रख लिया था"।मिशा बोली। "अरे! तुम मिशा की चिंता क्यों करती हो? वह बहुत स्मार्ट है और समझदार भी, अपना काम चला लेती है" उसके पापा बोले। मिशा, मां की तरफ देख हंसते हुए नहाने चली गई। फिर नहाकर फटाफट उसने पूजा की और दोपहर का खाना भी बना कर रख दिया। मां ने  रीमा को आवाज़ लगाई जो मिशा से बड़ी थी वह एकदम पढ़ाकू थी। ऐसी कोई किताब नहीं होगी जो उससे बची हो। वह सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही थी, और वो उसमें सफल भी हो जाएगी इसका पूरे घर को यकीन था। हुआ भी ऐसा ही रीमा दीदी जल्दी ही...

पापा ( कहानी)....DAD

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                                          पापा आज राजीव बहुत खुश था, वह अपने ऑफिस का काम भी जल्दी-जल्दी करने में लग गया क्योंकि आज  वह जल्दी घर जाना चाहता था। इतने में उसके बाॅस ने उसे बुलाया और कहा कि आज तुम्हें आज ऑफिस में थोड़ा रुक कर ओवर टाइम करना पड़ेगा। राजीव ने कुछ सोचते हुए हाँ कर दी, क्योंकि वो अपने काम के प्रति बहुत ईमानदार था, इसलिए वो बाॅस को मना नहीं कर पाया। वो थोड़ा उदास हो गया। उसके मित्र ने पूछा क्या हुआ यार, सुबह तो तू बहुत खुश था। अब क्या हुआ  तुझे, परेशान क्यों है? कुछ ऐसा नहीं है मेरा बेटा आज इतने दिनों बाद अपनी ट्रेनिंग पूरी करके आ रहा है और आज उसका जन्मदिन भी है। मैंने सोचा था कि आज थोड़ा जल्दी चला जाऊंगा, तो उसके आने से पहले ही सारी तैयारी करके उसे सरप्राइज कर दूंगा। "लगता है तू अपने बेटे से बहुत प्यार करता है।" दोस्त ने कहा। हाँ, "यार मैं अपने बेटे से बहुत प्यार करता हूँ। सभी करते हैं, मैं क्या सबसे अलग हूँ क्या?" मेरी पत्नी जब स...

आरजू (कविता)

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आरज़ू दिल की गहराईयों से चाहा है तुम्हें आंख भर आए तो मुस्कान तुम लाना खुशनुमा अहसास था जब छुआ तुम्हें  दिल जब हो उदास, वो अहसास तुम लाना.... माना मैं सताती हूँ तुम्हें उम्र हो गई है मेरी तुम हर पल साथ हो ये दिलासा तुम लाना दिल की गहराईयों से चाहा है तुम्हें आंख भर आए तो मुस्कान तुम लाना ..... तेरी खिलखिलाहट जो दिल को हंसाती थी तन्हा लम्हों में वो हँसी तुम लाना बहुत अजीज़ हो मेरे दिल करीब हो यकीन है तुम पर ये भरोसा तुम लाना दिल की गहराईयों से चाहा है तुम्हें आंख भर आए तो मुस्कान तुम लाना..... बहुत खण्डहर सा है मेरा दरीचा  धूप आए तो छांव तुम लाना सदियाँ गुज़र गई हैं खिज़ाँ के साये में  कहीं  मिले तो बहार तुम लाना दिल की गहराईयों से चाहा है तुम्हें आंख भर आए तो मुस्कान तुम लाना ..... हर ख्वाहिश पूरी हो ये जरुरी तो नहीं टूट जाए आस तो हौंसला तुम लाना खौफज़दा हो मंजर,  नाकाम हो सफर अन्धेरा हो घना, तो सहर तुम लाना दिल की गहराईयों से चाहा है तुम्हें आंख भर आए तो मुस्कान तुम लाना...... फिस...

अमलतास

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स्वर्णिम अमलतास यूंही, बैठ झरोखे से देख रही        मैं  अमलतास  हाथ बढ़ाकर छू लूं तुमको आ जाओ मेरे पास मेरे मन को लुभाते अपने गुणों से मुझको हो ललचाते  मांगू जो आज कुछ तुमसे मेरी हर आशा  पूरी कर दो ना तपती धरा में पीले फूलों में मुस्काते तुम ऊंची शाखाओं से, व्योम झुकाते तुम इतना साहस मुझमें भी  भर दो ना अंबर को छूकर, पत्ते खोकर तुमने ये रूप सजाया है वसंत सा सौंदर्य पाकर उसका यौवन भी लजाया है इतना सौंदर्य मन में मेरे भी भर दो ना कुम्लाह कर, तप कर स्वर्ण सी आभा में  कर्नफूल से दमकते हो  प्रफुल्लित, उल्लासित सबके हृदय को मोहते हो इतना प्रफुल्लित मुझको  भी कर दो ना फुनगी पर बैठ तुम्हारी परिंदे भी मुदित हो जाते हैं स्वर्णिम आभा की मादकता से वो भी मादक रस पाते हैं धरा पर बिखरे फूल तुम्हारे अंक में समेट लेती हूं  इनकी महक से मुझको भी मादक कर दो ना फूलों से सुसजित्त देख  तुम्हें, मैं पुलकित हो जाती हूं अपने हृदय के मनोभावों स...

एक मार्मिक कहानी

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                                                                  प्रोग्रेस रिपोर्ट  एक प्राथमिक स्कूल मे अंजलि नाम की एक शिक्षिका थीं वह कक्षा 5 की क्लास टीचर थी, उसकी एक आदत थी कि वह कक्षा मे आते ही हमेशा "LOVE YOU ALL" बोला करतीं थी। मगर वह जानती थीं, कि वह सच नहीं बोल रही ।  वह कक्षा के सभी बच्चों से एक जैसा प्यार नहीं करती थीं। कक्षा में एक ऐसा बच्चा था, जो उसको फूटी आंख भी नहीं भाता था। उसका नाम राजू था। राजू मैली कुचैली स्थिति में स्कूल आ जाया करता है। उसके बाल खराब होते, जूतों के बन्ध खुले, शर्ट के कॉलर पर मैल के निशान । पढ़ाई के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता था। मैडम के डाँटने पर वह चौंक कर उन्हें देखता, मगर उसकी खाली-खाली नज़रों से साफ पता लगता रहता, कि राजू शारीरिक रूप से कक्षा में उपस्थित होने के बावजूद भी मानसिक रूप से गायब है, यानी (प्रजेंट बाडी अफसेटं माइड) धीरे- धीर...