बारिश पर कविता
बारिश की महक
सौंधी मिट्टी की महक उठी।
रिमझिम बूंदों ने की सरगोशी
याद आई बीते पलों की खामोशी।
ठंडी फुहारों ने भिगोया तन को।
एक मीठे अहसास ने छुआ मन को।
धुंधला सा एक चहेरा मुसकाया
मुझे भी कोई अपना याद आया।
झूमती घटा, ठंडी हवा की सिरहन
मद मस्त सा बरसात का मौसम
मन को बहकाता सुलगाता ये सावन।
रुक_रुक कर बारिश की झड़ी लगी
मन में चाय पीने की आरजू जगी
कम से कम आज बारिश तो हुई।
शांभवी त्रिपाठी
Achha likhti h aap
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कविता
जवाब देंहटाएं