कहानी____कोटर और कुटीर ( सियारामशरण गुप्त)



लेखक परिचय :-सियारामशरण गुप्त (कहानी ___कोटर और कुटीर)
hindilingua.comसारांश :
मनुष्य  को दूसरों की सम्पत्ती की चाह ठीक नहीं है.दूसरों से माँगना और कर्जा  लेना भी स्वाभिमान के विरुद्ध है.एक कुटीर वासी ऐसे आदर्श जीवन से खुश होता है.कोटर में रहनेवाले चातक पुत्र वर्षा के पानी की प्रतीक्षा छोड़ गंगा की ओर उड़ रहा है.जब उसको गरीब  बुद्धन की स्वाभिमान भरी बात में चातक का उदाहरण बताया तो चातक पुत्र का अपने खानदानी गौरव  का पता चला.वह फिर गंगा की ओर जाना छोड़कर 
अपने कोटर की ओर लौटा. यह छोटी -सी कहानी में स्वाभिमान की आदर्श सीख मिलती है. 

सार:
चातक पुत्र  को अधिक  प्यास लगी. उनके पिता जी से कहा कि प्यास के कारण मैं परेशान में हूँ. पिताजी ने समझाया कि हम तो वर्षा का पानी ही पीते हैं.इसी कारण से हमारे कुल का गौरव है.पुत्र ने कहा कि मनुष्य तो कुएं,तालाब ,आदि में वर्षा के पानी जमा करके कृषी करता है; तब पिता ने पोखरी का पानी पीने की सलाह दी. पुत्र ने उस गंदे पानी ,जानवर और मनुष्य का पीना,उसमें कीड़े का बिलबिलाना  .आदमियों का उस पानी प्रदूषित करना; पुत्र ने  वह विचार छोड़ दिया.उसे चार-पांच की दूरी पर गंगा का पानी पीने की चाह की. वह गंगा की तरफ  उड़ने लगा. रास्ते में  वह बुद्धन नामक गरीब बूढ़े के खपरैल के पास के नीम के पेड़ पर  बैठा.
बुद्धन  पचास साल का था उसका बेटा गोकुल १५-१६ साल का लड़का था.
वह काम के लिए गया और खाली हाथ लौटा. लौटने में देरी हो गयी.उसने पिताजी से देरी के कारण जो बताया,उससे उसके उच्च चरित्र का पता चलता है.उसको उस दिन की मजदूरी नहीं मिली.इंजीनियर  के कहने पर ओवेर्सियर ने मजदूरी नहीं दी.सब चले गए.गोकुल को रास्ते पर एक रुपयों से भरा बटुवा मिला. गरीबी हालत में भी उसको उन रुप्योंवाले की उदासी और परेशानी का ही ध्यान आया. उसको मालूम हो गया कि वह बटुआ एक मेहता का है. तुरंत वह मेहता की तलाश में गया. मेहता का बटुवा सौंपा. मेहता बहुत खुश हुए.वे गोकुल को रूपये देने लगे. गोकुल ने  उसे न लिया.
पिता जी को  अपने बेटे की ईमानदारी पसंद आयी.पिताजी ने पुत्र से कहा कि तुम उधार ले सकते हो.गोकुल ने कहा कि उधार लेने की बात उस समय आयी ही नहीं.
आनंदातिरेक से वे बोल न सके.बुद्धन को लगा कि उसके  क्षुधित और निर्जीव शरीर में प्राणों का संचार हो गया.वह पुत्र से बोला-अच्छा ही किया बेटा,
ये सब देख चातक का पुत्र भी अपने पिता के पास जाने के लिए उड़ चला रास्ते मै बारिश होने लगी। चातक ने अपने पिता के साथ मिलकर दोनों ने अपनी प्यास बुझाई, पर उसने भी अपने पिता की सीख अपनाई और अपने संस्कारों कि निभाया।

टिप्पणियाँ

  1. बहुत अच्छी कहानी है, बचपन में पढ़ी थी।

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  3. सामाजिक नैतिक मूल्यों को स्थापित करने वाली कहानी है।

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  4. ये पाठ 10वी क्लास में पढ़ा था 2000 की साल मे लेकिन अब इसमें वो मजा नही आया पढ़ते हुए जो उस समय आया थे , क्योंकि इसमें विस्तार से नही लिखा गया है, अनुरोध है आप से सुरुब्से आखिर तक पूरा का पूरा पाठ डाल दे

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